हिन्दी भाषा का व्याकरण
किसी भी भाषा के लिए उसका व्याकरण उसकी आत्मा के समान होता है। किसी भी भाषा को तब तक नहीं सीखा जा सकता, जब तक उस भाषा के व्याकरण का पूर्ण ज्ञान ना हो ,इसलिए हिन्दी भाषा को जानने के लिए इसके व्याकरण के बारे में जानना बहुत जरूरी है। हिन्दी भाषा की एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिन्दी भाषा एक वैज्ञानिक भाषा है, अर्थात जैसी यह बोली जाती है वैसे ही पढ़ी व लिखी जाती है।
व्याकरण की परिभाषा
” व्याकरण वह शास्त्र है जो किसी भाषा को शुद्ध रूप से बोलना, लिखना तथा पढ़ना सिखाता है।“
व्यावहारिक दृष्टि से हिन्दी व्याकरण के चार अंग हैं:-
1 वर्ण विचार
2 शब्द विचार
3 पद विचार
4 वाक्य विचार
1 वर्ण विचार :- इसमें वर्णों के आकार, प्रकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके संयोग और संधि के नियमों पर विचार किया जाता है।
2 शब्द विचार :- इसमें शब्दों के भेद, रचना, व्युत्पत्ति आदि का बोध होता है।
3 पद विचार :- इसमें पद- भेद, रूपांतर और प्रयोग संबंधी नियमों पर विचार किया जाता है ।
4 वाक्य विचार :- इसमें वाक्य- भेद, विभिन्न अंग, वाक्य-रचना, वाक्य विश्लेषण, वाक्य संश्लेषण आदि पर विचार किया जाता है।
लेकिन मुख्य रूप से व्याकरण के तीन भेद है :-
1 वर्ण विचार
2 शब्द विचार
3 वाक्य विचार
Reference book :- व्याकरण भारती
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